Tuesday, 8 January 2013

रचना - उम्मीद



गम तो दिए हैं जिंदगी ने लेकिन
उम्मीद है कि दीदारे-यार होगा

बहाने बहुत हैं जीने की खातिर
जीता हूं कि विसाले-यार होगा

होती है जब हवाओं में जुंबिश
लगता है तू आस-पास होगा

रात की तन्हाइयां डराती नहीं
किसी सुबह तू मेरे साथ होगा
    -        बृजेश नीरज

2 comments:

  1. आशावादी सोंच!
    अच्छी है कविता

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    Replies
    1. आशिक आशावादी ही होता है।

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