कदो-कदावत की
बातें करते हैं
साथ बिठाने
से लोग डरते हैं
मेरी आवाज़ ज़रा
गौर से सुनना
क्या बात है
जिससे लोग डरते हैं
कोई रूतबा हैसियत
नहीं मेरी
करीब आने से
लोग डरते हैं
इंसान हूं कोई
हैवान तो नहीं
प्यार जताने
से लोग डरते हैं
और बड़ा दर्द
क्या होगा कोई
इंसान से आज
लोग डरते हैं
शक्लो-सूरत
से तो ठीक ठाक हैं
फिर भी आईने
से लोग डरते हैं
यूं तो खुद
पर सबको है गुमान
ज़र्रा हैं हवाओं
से लोग डरते हैं
- बृजेश नीरज
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