Saturday 19 December 2015

उम्मीद

गम तो दिए हैं जिंदगी ने लेकिन
उम्मीद है कि दीदारे-यार होगा

बहाने बहुत हैं जीने के लेकिन
जीता हूँ कि विसाले-यार होगा

होती है जब हवाओं में जुंबिश
लगता है तू आस-पास होगा

रात की तन्हाइयाँ डराती नहीं

किसी सुबह तू मेरे साथ होगा

मिथक

इस रात का सबेरा नहीं है
तू मिलेगा आसरा नहीं है

मन्दिर मस्जिद आरती अजानें
सब कुछ है, आस्था नहीं है

टूटे मिथक सभी जिंदगी के
साँसें हैं लालसा नहीं है

मौसम का ये कैसा मिजाज

चंदा नहीं है, सूरज नहीं है

Friday 18 December 2015

कुण्डलिया छंद

अम्बे तेरी वंदना, करता हूँ दिन-रात
मिल जाए मुझको जगह, चरणों में हे मात
चरणों में हे मात, सदा तेरे गुण गाऊँ
चरण-कमल-रज मात, नित्य ही शीश लगाऊँ
अर्पित हैं मन-प्राण, दया करिए जगदम्बे

शब्दों को दो अर्थ, मात मेरी हे अम्बे 

यादों में

तुम्हारे घर सुना सबेरा बहुत है
यहाँ रात बीती अँधेरा बहुत है

समय की हैं बातें सबेरे-अँधेरे
कहीं नींद, कहीं रतजगा बहुत है

तुम्हें मिलते हैं साथी बहुत से
हमें तन्हाई का सहारा बहुत है

याद करना और आँसू बहाना
वक्त बिताने का बहाना बहुत है

कभी तो निकलोगे रस्ते हमारे
दीदार का ये आसरा बहुत है

मिलना तो कहना भुलाया नहीं था

जीने को बस ये फसाना बहुत है

Wednesday 16 December 2015

कहाँ के थे

थोड़ा बरस के थम गए वो बादल कहाँ के थे
आँखों में नमी शेष है आँसू यहाँ पे थे

इस माहौल को देखते सोचता हूँ एक बात
आदम यहां हैं तो अहरमन कहां पे थे

कई बरस हो गए कोई शोर नहीं हुआ
लगता है क्या आपको गांधी यहां पे थे

अब तो मिसालें भी न रहीं कुछ कहने के लिए

बातों को यूं समझ लें वो समझदार कहां के थे

भोजपुरी गीत

बिदेसी बिया से फूल देसी फुलाई
अब पछुआ बयार रउरा लइ गयल बहाई

बदल वेश भूषा भइया इतरा के डोलल
जइसे देसी कुतिया मराठी बोल बोलल
रउरा तौ आपन माटी अब गयल भुलाई
बिदेसी बिया से फूल देसी फुलाई

अंगरेजी में कहेला अब बाई टाटा
बचुआ अब फैशन मा, बाप का कहे पापा
काहे लजाला भइया बोले तू माई
बिदेसी बिया से फूल देसी फुलाई

काहे लजाला बोले में अपन भाखा
सुगंध से माटी के महकल बा भाखा
भोजपुरी बा पहिचान आपन भाई

बिदेसी बिया से फूल देसी फुलाई       

भोजपुरी गीत

भुला दिहला काहे माटी बोली
काहे नीक लागे परदेसी बोली

महुआ मकई विदेस मा डिमांड बा
बजरा कै रोटी अबहूं सोंधात बा
फिनु काहे भरे तू पिज्जा से झोली
काहे नीक लागे परदेसी बोली

बचपन बीतल जोने देस जवार मा
भाषा भइया ओकर परान बा
कइसे भुलाला तू पुरबी बोली
काहे नीक लागे परदेसी बोली

मिश्री से मीठ बा आपन भोजपुरी
ठंडी फुहार जइसन अपन भोजपुरी
काहे बिसार दिहला पुरबी बोली

काहे नीक लागे परदेसी बोली

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