बारिश का अंदेशा रहा होगा
तभी बादल जायजा
लेता होगा
बस्ती में हर
तरफ धुंआ&धुंआ
है
लगता है कोहरा
घना रहा होगा
उस तरफ जाना
मना है आज
समंदर में कोई
हादसा हुआ होगा
चिंगारियों को देख
भागते हैं लोग
खुद जल जाने
का डर रहा
होगा
घर में बंद
रहना ही मुनासिब
न जाने कौन
घात में बैठा
होगा
आज तो मिलिए
मुस्कुराकर आप
कल क्या जाने
कौन कहां होगा
एक आहट से
भी चैंक पड़ते
हैं
दिल में गहरा
सन्नाटा रहा होगा
- बृजेश नीरज
वाह...
ReplyDeleteबस्ती में हर तरफ धुंआ धुंआ है
लगता है कोहरा घना रहा होगा
बहुत सुन्दर रचना...
अनु
मुझ जैसे नौसिखया लिखने वाले के लिए आपकी प्रशंसा उत्साहवर्धक है। आशा है कि आपकी टिप्पणियां मुझे प्राप्त होती रहेंगी जिससे मैं अपने प्रयास को और बेहतर कर सकूं।
ReplyDeleteचलिये बृजेश भाई
ReplyDeleteये सन्नाटा तो टूट गया
प्यारी रचना
सादर
यशोदा बहन,
Deleteआपका आभार!
कमियों को भी इंगित करिएगा
पुनः धन्यवाद!