Monday, 14 January 2013

रचना - घना कोहरा


बारिश का अंदेशा रहा होगा
तभी बादल जायजा लेता होगा

बस्ती में हर तरफ धुंआ&धुंआ है
लगता है कोहरा घना रहा होगा

उस तरफ जाना मना है आज
समंदर में कोई हादसा हुआ होगा

चिंगारियों को देख भागते हैं लोग
खुद जल जाने का डर रहा होगा

घर में बंद रहना ही मुनासिब
जाने कौन घात में बैठा होगा

आज तो मिलिए मुस्कुराकर आप
कल क्या जाने कौन कहां होगा

एक आहट से भी चैंक पड़ते हैं
दिल में गहरा सन्नाटा रहा होगा
                                           - बृजेश नीरज

4 comments:

  1. वाह...

    बस्ती में हर तरफ धुंआ धुंआ है
    लगता है कोहरा घना रहा होगा
    बहुत सुन्दर रचना...

    अनु

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  2. मुझ जैसे नौसिखया लिखने वाले के लिए आपकी प्रशंसा उत्साहवर्धक है। आशा है कि आपकी टिप्पणियां मुझे प्राप्त होती रहेंगी जिससे मैं अपने प्रयास को और बेहतर कर सकूं।

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  3. चलिये बृजेश भाई
    ये सन्नाटा तो टूट गया
    प्यारी रचना
    सादर

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    Replies
    1. यशोदा बहन,
      आपका आभार!
      कमियों को भी इंगित करिएगा
      पुनः धन्यवाद!

      Delete

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