स्वप्न टूटने से
आवाज
नहीं होती
एक चीख पैदा
होती है;
एक ऐसी चीख
जो छा जाती
है
सन्नाटा बनकर
पूरे जीवन पर।
यूं भी अब
चीख
कान नहीं सुनते
जेब से सुनी
जाती है;
एक जेब से
निकलकर
चीख
दूसरी जेब के
हृदय में
प्रवेश कर जाती है;
सपने पूरे नहीं
होते
खरीदे
जाते हैं
एक जेब से
दूसरी
जेब के बीच
सपना पूरा हो
जाता है।
इसलिए अगर
जेब फटी है
सपने टूटेंगे ही।
चीखो मत।
क्योंकि
वह चीख
फटे
बांस की तरह
हवा में
घों
घों का
बेसुरा शोर पैदा
करेगी
लोग कान बंदकर
लेंगे
तमाशबीन मजा लेंगे।
बेहतर है
जेब सिल लो
घों घों का
शोर
बंद
हो जाएगा
आवाज साफ हो
जाएगी
सपने पूरे होने
लगेंगे।
- बृजेश नीरज
No comments:
Post a Comment