Saturday, 12 January 2013

रचना - हालात


इन दरख्तों के कद हो गये लंबे
साया भी धरती पर नहीं मुहाल

वो पेड़ अब टूटकर गिरने लगा
इधर से गुजरिए तो रखिए ख्याल

इस दोपहर तपिश से बेहाल हैं
छत पर आप थोड़ा रखिए पुआल

वो कहते रहे तब सब ठीक था
मैं बोला ज़रा तो हो गया बवाल

राजा की खिलाफत की मनाही है
कुछ बुरा गुजरे करिएगा मलाल

इस तस्वीर में तो सब खूबसूरत है
आकर देखिए इस बस्ती का हाल

                            - बृजेश नीरज
Published in-
Rachanakar 

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