Sunday, 2 December 2012

हाइकु कविता


तुम




तुम आई हो
खबर पुरानी है
लगती नई। 
  ñ ñ ñ

ओस की बूंदें
हवा की शीतलता
तेरी छुअन।
  ñ ñ ñ

तेरा दीदार
शीतलता देता है
पर कितनी?
  ñ ñ ñ

तुम्हारा आना
बेचैन करता है
तुम्हारा जाना।







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