Sunday 1 November 2015

बेचारा

जाने-अनजाने लोगों के बीच
हँसता-हँसाता हूँ
मेरे संग सब
मुस्कराते हैं
खिलखिलाते हैं
लेकिन जब
लगती है चोट कोई
बस देखते रहते हैं
सूनी आँखों से
कोई रोता नहीं मेरे साथ
मुँह से आवाज आती है

च...च....च....च......बेचारा

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