थोड़ा बरस के थम गए वो बादल कहाँ के थे
आँखों में नमी शेष है आँसू यहाँ पे थे
इस माहौल को देखते सोचता हूँ एक बात
आदम यहां हैं तो अहरमन कहां पे थे
कई बरस हो गए कोई शोर नहीं हुआ
लगता है क्या आपको गांधी यहां पे थे
अब तो मिसालें भी न रहीं कुछ कहने के लिए
बातों को यूं समझ लें वो समझदार कहां के थे
No comments:
Post a Comment