अकबर इलाहाबादी
हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है
इस रंग को क्या जाने, पूछो तो कभी पी है
उस मय से नहीं मतलब, दिल जिस से है बेगाना
उन का भी अजब दिल है, मेरा भी अजब जी है
हर साँस ये कहती है, कि हम हैं तो ख़ुदा भी है
बुत हम को कहें काफ़िर, अल्लाह की मर्ज़ी है
शब्दार्थ:
1. धर्मोपदेशक
2. मनोरथ
3. वहाँ
4. यहाँ
5. दैवी प्रकाश
6. प्रकृति
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