Friday, 7 June 2013

ओस


सुबह सुबह
टहलते टहलते पहुंच गया
सूनसान सड़क पर
दूर दूर तक कोई नहीं
कोई पेड़
कोई आबादी
चारों ओर वीराना
लेकिन सड़क भीगी हुई
तर-ब-तर
आखिर कौन छिड़क गया
पानी यहां
या फिर बहाया है
किसी मजदूर ने पसीना
या किसी दुखिया के हैं
आंसू।

               - बृजेश नीरज

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