Wednesday, 5 June 2013

छुपा लाया


खूब धन देखिए कमा लाया
साथ कितनी वो बद्दुआ लाया

काफिले छूट ही गए पीछे
कर्म तेरा वो जलजला लाया

धूप का साथ काफिला तेरे
पेड़ सारे तो तू कटा लाया

पीर पर्वत हुई तो क्या गम है
ढूंढकर फिर नई दवा लाया

बुलबुले सी ये जिंदगी ढोते
प्यार का कौन सिलसिला लाया

इक सुबह की तलाश है जारी
रात ढेरों दिये सजा लाया

वो शमा जल के बुझ गयी होगी
वक्त ऐसी यहां हवा लाया

अब यहां रूक के हम करेंगे क्या
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया

राम को अब किधर भला ढूंढूं
दिल में केवट उसे छुपा लाया

                  - बृजेश नीरज

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