खूब धन देखिए
कमा लाया
साथ कितनी वो
बद्दुआ लाया
काफिले छूट
ही गए पीछे
कर्म तेरा वो
जलजला लाया
धूप का साथ
काफिला तेरे
पेड़ सारे तो
तू कटा लाया
पीर पर्वत हुई
तो क्या गम है
ढूंढकर फिर
नई दवा लाया
बुलबुले सी
ये जिंदगी ढोते
प्यार का कौन
सिलसिला लाया
इक सुबह की
तलाश है जारी
रात ढेरों दिये
सजा लाया
वो शमा जल के
बुझ गयी होगी
वक्त ऐसी यहां
हवा लाया
अब यहां रूक
के हम करेंगे क्या
फिर मिलेंगे
अगर खुदा लाया
राम को अब किधर
भला ढूंढूं
दिल में केवट
उसे छुपा लाया
- बृजेश नीरज
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