भुला दिहला काहे इ माटी इ बोली
काहे नीक लागे परदेसी बोली
महुआ मकई क विदेस मा डिमांड बा
बजरा कै रोटी अबहूं सोंधात बा
फिनु काहे भरे तू पिज्जा से झोली
काहे नीक लागे परदेसी बोली
बचपन बीतल जोने देस जवार मा
ई भाषा त भइया ओकर परान बा
कइसे भुलाला तू ई पुरबी बोली
काहे नीक लागे परदेसी बोली
मिश्री से मीठ बा आपन भोजपुरी
ठंडी फुहार जइसन अपन भोजपुरी
काहे बिसार दिहला इ पुरबी बोली
काहे नीक लागे परदेसी बोली
- बृजेश नीरज
No comments:
Post a Comment