Thursday, 16 May 2013

नशा


कइस हुइ गयल फैशनवा राम
नशा मा डूबा जमनवा राम

घरै सुधि नाहीं
झूमै मगन हुई
साकी से नेहा
पत्नी बिसरि गई
लरिका हुइ गय बेगनवा राम
नशा………….

बोतल मा खुद का
डुबाय दीन्ही
पइसा कौड़ी सब
लुटाय दीन्ही
दर दर भटिकै मनुजवा राम
नशा……………………..

गटक जब लीन्हा
तौ सिर चढ़ बोलै
रोवै मुस्काए
अउ बर बर बोलै
नागिन लहिरे बदनवा राम
नशा………………….

पहिले तो सबका
बहुत नीक लागै
सगरी दुनिया
बहुत फीक लागै
तौ निगल गयी तनवा राम
नशा……………………..

            - बृजेश नीरज

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