कइस हुइ गयल
फैशनवा राम
नशा मा डूबा
जमनवा राम
घरै क सुधि
नाहीं
झूमै मगन हुई
साकी से नेहा
पत्नी बिसरि गई
लरिका हुइ गय
बेगनवा राम
नशा………….
बोतल मा खुद
का
ई डुबाय दीन्ही
पइसा कौड़ी सब
ई लुटाय दीन्ही
दर दर भटिकै
इ मनुजवा राम
नशा……………………..
गटक जब लीन्हा
तौ सिर चढ़
बोलै
रोवै मुस्काए
अउ बर बर
बोलै
नागिन स लहिरे
बदनवा राम
नशा………………….
पहिले तो सबका
बहुत नीक लागै
ई सगरी दुनिया
बहुत फीक लागै
ई तौ निगल
गयी तनवा राम
नशा……………………..
- बृजेश नीरज
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