ओपन बुक्स ऑनलाइन, चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक-२५ में मेरी रचना
(चित्र ओबीओ
से साभार)
चौड़ी नही छाती
मेरी, हौसला तो है बुलंद
मुझे भी अब
सेवा मे, मौका तो दिलाइए
निर्धन गरीब
हूं मैं, दुबला शरीर मेरा
बस इसी कारण
से, न मौका छुड़ाइए
खाकी मुझे मिल
जाय, फिर चिंता दूर जाय
खाऊं पियूं,
मोटा होऊं, मौका तो दिलाइए
गाँव के पड़ोसी
सभी, बहुत सताते मुझे
रौब ज़रा गांठ
सकूं, वर्दी तो दिलाइए
- बृजेश नीरज
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