Thursday, 11 April 2013

बाल गीत/ सूरज


देखो देखो आया सूरज
नया सबेरा लाया सूरज

अंधकार का नाश हो गया
जग उजियारा लाया सूरज

पूरब में है लाली छायी
गोल सलोना भाया सूरज

सपनों से तो जागे हैं हम
कुछ उम्मीदें लाया सूरज

बागों के सब फूल हंसे
नई चेतना लाया सूरज

अपने अपने घर से निकलो
आसमान पर छाया सूरज

सभी समय से काज करो तुम
यह संदेशा लाया सूरज
            - बृजेश नीरज

15 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    नवरात्रों और नवसम्वतसर-२०७० की हार्दिक शुभकामनाएँ...!

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    1. आपका आभार गुरूदेव! आपको भी नवसंवत्सर और नवरात्रि की शुभकामनाएं!

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  2. अच्छी बात बताती कविता .....

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज शुक्रवार (12-04-2013) के समंदर में सू-सू करने से सुनामी नहीं आती ; चर्चा मंच 1212
    (मयंक का कोना)
    पर भी होगी!
    नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
    सूचनार्थ...सादर!

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  4. सुन्दर मासूम बाल कविता चर्चा मंच से ब्रजेश जी आज आपके ब्लॉग का पता चला फोलो भी कर लिया है अब आप मेरे एग्रिगेटर पर हैं बहुत बहुत बधाई आपको

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    1. आदरणीया आपका आभार! मैं भी आपके साथ फेसबुक और ब्लाॅग पर जुड़ गया हूं। आपके मार्गदर्शन की हमेशा प्रतीक्षा रहेगी।
      सादर!

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  5. बहुत सुंदर और मासूम बालगीत ......
    पहली बार आपके ब्लॉग पर आना सार्थक हो गया...
    धन्यवाद...


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    1. आपका आभार! आशा है आप आगे भी मुझ पर अपना आशीष बनाए रखेंगी।

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  6. बच्चों के लिखना इतना सरल कहां है परन्तु आपने बड़ी सरलता प्रस्तुत किया है।
    obo पर बाल लेखन में विशेष प्रशंसापात्र बनने के लिए सादर बधाई स्वीकारें।

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  7. आभार आप का.बहुत सुन्दर बाल गीत..अभिव्यंजना में भी आप का स्वागत है..

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