देखो देखो आया
सूरज
नया सबेरा लाया
सूरज
अंधकार का नाश
हो गया
जग उजियारा लाया सूरज
पूरब में है
लाली छायी
गोल सलोना भाया
सूरज
सपनों से तो
जागे हैं हम
कुछ उम्मीदें लाया सूरज
बागों के सब
फूल हंसे
नई चेतना लाया
सूरज
अपने अपने घर
से निकलो
आसमान पर छाया
सूरज
सभी समय से
काज करो तुम
यह संदेशा लाया सूरज
- बृजेश नीरज
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
नवरात्रों और नवसम्वतसर-२०७० की हार्दिक शुभकामनाएँ...!
आपका आभार गुरूदेव! आपको भी नवसंवत्सर और नवरात्रि की शुभकामनाएं!
Deleteअच्छी बात बताती कविता .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज शुक्रवार (12-04-2013) के समंदर में सू-सू करने से सुनामी नहीं आती ; चर्चा मंच 1212
(मयंक का कोना) पर भी होगी!
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ...सादर!
आपका आभार!
Deleteसुन्दर मासूम बाल कविता चर्चा मंच से ब्रजेश जी आज आपके ब्लॉग का पता चला फोलो भी कर लिया है अब आप मेरे एग्रिगेटर पर हैं बहुत बहुत बधाई आपको
ReplyDeleteआदरणीया आपका आभार! मैं भी आपके साथ फेसबुक और ब्लाॅग पर जुड़ गया हूं। आपके मार्गदर्शन की हमेशा प्रतीक्षा रहेगी।
Deleteसादर!
बहुत सुंदर और मासूम बालगीत ......
ReplyDeleteपहली बार आपके ब्लॉग पर आना सार्थक हो गया...
धन्यवाद...
आपका आभार! आशा है आप आगे भी मुझ पर अपना आशीष बनाए रखेंगी।
Deleteबच्चों के लिखना इतना सरल कहां है परन्तु आपने बड़ी सरलता प्रस्तुत किया है।
ReplyDeleteobo पर बाल लेखन में विशेष प्रशंसापात्र बनने के लिए सादर बधाई स्वीकारें।
आपका आभार!
Deletelovely poem
ReplyDeleteThanks!
Deleteआभार आप का.बहुत सुन्दर बाल गीत..अभिव्यंजना में भी आप का स्वागत है..
ReplyDeleteआपका आभार!
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