Saturday, 13 April 2013

लघुकथा ­- चमेली


     मंच के सामने आठ दस लोग कुर्सियों पर बैठे थे। सफेद झक कुर्ता पायजामा पहने छरहरे बदन का एक युवक मंच पर खड़ा भाषण दे रहा था, ‘आज हमारे देश को भगत सिंह के आदर्शों की जरूरत है……..।‘ भाषण खत्म होने पर संचालक ने घोषणा की, ‘थोड़ी ही देर में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारम्भ होंगे।‘
     कुछ देर बाद एक युवती रंग बिरंगी वेशभूषा में मंच पर आयी और उसने एक गीत पर नृत्य आरंभ कर दिया ‘……चिकनी चमेली……’
भीड़ धीरे धीरे बढ़ने लगी थी।
सीटियां बज रही थीं।
भगत सिंह शहीद हो चुके थे। चमेली महक रही थी।
                       - बृजेश नीरज

7 comments:

  1. कड़वी बात को सहज लिख दिया ... आज का सच यही है बस ...

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  2. आज हर सांस्कृतिक कार्यक्रम में यही दिखाया जा रहा है,और तो और किसी धार्मिक अनुष्ठान के बाद भी ये दृश्य देखने को मिल जायेगे,कडवी सच्चाई.

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    1. सच कहा आपने राजेन्द्र भाई!

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  3. sir apki yh khani to adviteey hai maine kai bar pda hai isko.

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  4. सटीक व्यंग्य

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