Sunday, 10 March 2013

तुम


मैं महसूस करता हूँ
जब भी
अंदर तक बिखरा
तुम्हारे कदमों की आहट
फिर से समेट देती है
मेरा अंर्तमन
चेतनशून्य से
चैतन्यता लौट आती है
मेरे पास
तुम्हारा मुस्कराता चेहरा
मेरी आंखों के सामने होता है
                      - बृजेश नीरज

7 comments:

  1. बहुत ही सार्थक प्रस्तुति,आभार.महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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    1. आपका आभार! महाशिवरात्रि की आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं!

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  2. ऐसी प्रेरणा यदि सबके साथ रहे तो हर सफ़र आसान रहता है ।

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  3. जीने को प्रेरणा यही होती है ...

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