Monday, 4 March 2013

चौपाई/ माता की स्तुति


लेखनी माता के चरणों में समर्पित!


जय अम्बे जय मातु भवानी
जय जननी जय जगकल्यानी
जय बगुला जय विन्ध्यवासिनी
जय वैष्णव जय सिंहवाहिनी

कण कण में है वास तिहारा
तुम जग की हो पालनहारा
करूणा की हो सागर माता
तू सबकी है भाग्य विधाता

दूजा को है तुम सम ज्ञानी
मैया तू जग की महरानी
हम सब माता बालक तेरे
हित अनहित सब है वश तेरे

शरण पड़े माता हम तोरे
मात करूं विनती कर जोरे
इन चरणों में शीश नवावें
तेरी महिमा नित प्रति गावें
                                                       -        बृजेश नीरज

4 comments:

  1. जयकारा आंबे गौरी का | बोल साचे दरबार की जय | बहुत सुन्दर भेंट | जय हो |


    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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    Replies
    1. आपका आभार! मैं आपके ब्लॉग पर आता ही रहता हूं आपसे जुड़ चुका हूं। इधर कुछ व्यस्तता के कारण नहीं आ सका।
      सादर!

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  2. जय माता दी!
    कलापूर्ण भेंट माँ के चरणों में।
    बधाई आपको!
    माँ का वरद हस्त आप पर सदा बना रहे।

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