सरकार ने अभी
तक कैसे सता के मारा
इसको हंसा के
मारा उसको रूला के मारा
साकी ने रात
में तो मुझको पिला के मारा
तूने सुब्ह
हुई तो सूरत दिखा के मारा
पहले सजा सुनाई
फिर वो ये पूछते हैं
ये तो बता कि
कैसे दिल को मना के मारा
इक आस थी तुम्हारी
वो भी न अब बची है
चाहा जिसे भी
मैंने उसने छला के मारा
तुझको खबर नहीं
थी मुझको खबर लगी है
इक आइने ने
सबको सूरत दिखा के मारा
आजाद हैं जो
हम तो फिर क्यूं सजा मिली है
आवाज को हमारी
तूने दबा के मारा
- बृजेश नीरज
बहुत खूब है मारने की अदा ...
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब हैक ... आपकी होली की बधाई ओर शुभकामनाएं ..
आपका आभार!
Deleteआपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
अच्छी लगी ।
Deleteआपका आभार!
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