Wednesday 13 March 2013

लघुकथा ­- उत्तर की तलाश


एक मित्र ने पूछा, ’तुम कब पैदा हुए थे?’
’शायद तब जब लाल  बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे। नहीं शायद गुलजारी लाल नन्दा या इंदिरा में से कोई प्रधानमंत्री था’, मैंने उत्तर दिया।
’तुम्हें इतना भी याद नहीं।’
’बच्चा था न- दुनियादारी, राजनीति, से दूर।’
’अब क्या हो?’
’अब भी एक इंसान हूं-छल, कपट, राजनीति, माया-मोह में जकड़ा।’
’मगर इंसान हो?’
’हां।’
’कैसे? इंसानों के कौन से लक्षण हैं तुममें?’
मैं चुप रहा। कुछ सोचा फिर उत्तर की जगह मैंने एक प्रश्न दाग दिया, ’तुम क्या हो?’
मित्र खामोश था। वह शायद जानता था कि आगे फिर मैं उसका अगला प्रश्न ही दोहराने वाला हूं।
एक सीधे प्रश्न के उत्तर की तलाश में हम देर तक एक दूसरे को देखते रह।
आज भी उत्तर तलाश रहे हैं कि इंसानों के कौन से लक्षण हैं हममें?
यदि आपको पता हो बताइएगा जरूर।
                               - बृजेश नीरज

7 comments:

  1. बहुत ही जटिल प्रश्न है ब्रिजेश जी,बहुत ही सार्थक प्रस्तुति.

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद!

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  2. बहुत ही सुन्दर. आभार

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  3. इसका जवाब किसी के पास नहीं ...
    प्रभावी कहानी ..

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  4. उत्तर विहीन प्रश्न

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    1. सच कहा आपने! आभार!

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