Saturday, 16 February 2013

सफर की बात करते हैं


जो शरीफ हैं शराफत की बात करते हैं
वो सिरफिरे इंकलाब की बात करते हैं

सुबह होने तक इंतजार नहीं कर सकते
इस रात में ही सफर की बात करते हैं

ओस की बूंदों से ही सिहर गया बदन
वो बारिश में भीगने की बात करते हैं

हर तरफ बस रेत ही रेत नजर आती
सायः-ए-शाखे-गुल की बात करते हैं

इन गलियों में कोई किरन नहीं आती
लोग धूप और छांव की बात करते हैं

हालात की नज़ाकत की समझ ही नहीं
जनाजे में हैं जिंदगी की बात करते हैं
                   - बृजेश नीरज


1 comment:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति मित्र | आपकी कविता पढ़कर आनंद आ गया | बधाई |

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    ReplyDelete

कृपया ध्यान दें

इस ब्लाग पर प्रकाशित किसी भी रचना का रचनाकार/ ब्लागर की अनुमति के बिना पुनः प्रकाशन, नकल करना अथवा किसी भी अन्य प्रकार का दुरूपयोग प्रतिबंधित है।

ब्लागर