Tuesday 5 February 2013

तस्वीर


जो जिंदगी धड़कनों में गुजरी
शमा उसकी तस्वीर ही तो है

याद से दिल बहलता रहा
इक तमन्ना सताती तो है

आसमां जो पड़ गया नीला
ये दर्द की तासीर ही तो है

जंजीरे-दर उदास सी रही
सबा कुछ गुनगुनाती तो है

दिन यूं बदलता रहा पैरहन
शाम उसका अंजाम ही तो है

समंदर है अब खामोश सा
दरिया में खलल सी तो है
-        बृजेश नीरज

जंजीरे-दर - कुण्डी
सबा - ठंडी हवा
पैरहन - वस्त्र

4 comments:

  1. सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  2. बेहतरीन नज़्म..

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  3. बहुत सुंदर नज़्म...... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया !!

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