Monday, 25 February 2013

आओ कह लें


आओ मिलकर हम कोई कहानी कह लें
इस जहां की सूरत कुछ सुहानी कह लें

मिले तो हैं कई दोस्त इस जगह लेकिन
बात हो ऐसी कि इसकी कहानी कह लें

बेवजह नहीं ऐतराज तेरे यूं कहने पर
इजहार हो ऐसे कि सब जबानी कह लें

सूरते हाल ऐसी कि जबां हिलती ही नहीं
कहो कैसे ऐसे में कोई बात पुरानी कह लें
                        - बृजेश नीरज

4 comments:

  1. 'बात हो ऐसी कि इसकी कहानी कह लें'
    इसमे 'इसकी' आपने किसके लिए कहा है?
    अच्छी रचना है!
    सादर

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    Replies
    1. दोस्त, दोस्ती के लिए

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