रात भर चांद
आज रोता रहा
चांदनी मंद मुस्कुराती रही
आसमां किस कदर
परेशां है
जमीं मिलन को
तरसाती रही
पतंगा बेचैन मंडराता रहा
शमा झूम कर
लहराती रही
भौरों की गुनगुन सदा दे रही
कलियां महक में
इतराती रही
साहिल गुमसुम खामोश है
लहरें मस्ती में
इठलाती रही
दीदार को मचलता
तूफां है
बारिश दिलों को
भिगाती रही
सबा देकर आवाज
रात भर
अपने प्रियतम को बुलाती रही
- बृजेश नीरज
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 02/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteNice creation!
ReplyDeleteNice creation!
ReplyDeleteThanks!
Deleteअति सुन्दर...
ReplyDelete:-)
वाह! बहुत सुन्दर प्यारा गीत ...
ReplyDeleteधन्यवाद!इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
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