Tuesday, 26 November 2013

पुस्तक का लोकार्पण

       पुस्तक रूप में छपना किसी भी रचनाकार का स्वप्न होता है. आज के युग में जब योग्यता पर पैसे को तरजीह दी जाती हो, एक सामान्य व्यक्ति के लिए अपनी रचनाओं को पुस्तक रूप में छपवाना अत्यंत दुष्कर कार्य है, वह भी तब विशेष रूप से, जबकि आपका नाम साहित्य के क्षेत्र में नया हो. ओबीओ से जुड़े हम १५ रचनाकारों के लिए इस स्वप्न के सच होने का अवसर आया जब अंजुमन प्रकाशन, इलाहाबद ने साझा संकलन की एक श्रंखला प्रारम्भ की. परों को खोलते हुए-१ के रूप में हम १५ रचनाकारों की अतुकांत कविताओं का संकलन प्रकाशित हुआ.

       पुस्तक में सम्मिलित होने से लेकर पुस्तक लोकार्पण तक की प्रक्रिया इतनी तेजी से हुई कि पुस्तक के रूप में पहली बार प्रकाशित होने के आह्लाद को जीने का अवसर लोकार्पण के उपरान्त ही प्राप्त हो सका. यूँ तो इससे पूर्व, श्रीमती आशा पाण्डेय ओझा के सम्पादन में प्रकाशित साझा संकलन त्रिसुगंधि में भी मेरी रचना सम्मिलित की गयी थी लेकिन अंजुमन की इस पहल में जिस तरह हर कदम पर सभी रचनाकारों को सूचित किया गया और निर्णयों एवं कार्यक्रमों में सम्मिलित रखा गया व प्रमुखता दी गयी उसने पुस्तक के रूप में प्रकाशित होने के सुख को न केवल जिन्दा रखा बल्कि बढ़ाया.
       कैफ़ी आज़मी अकादमी, निशातगंज, लखनऊ में आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह इतना भव्य था कि बरबस अनजाने से हम १५ रचनाकार अपने कद को बड़ा महसूस करने लगे. इस कार्यक्रम की अनुभूतियों ने कई दिनों तक कुछ और सोचने-समझने लायक ही नहीं रखा; दिवाली की जगमग और पटाखों के शोर फीके पड़ गए.
कार्यक्रम में मंचासीन अतिथियों का संगम अनूठा था. प्रसिद्ध गीतकार श्री गोपाल दास नीरज मुख्य अतिथि थे तो कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध छंदकार श्री सोम ठाकुर ने की. अन्य विशिष्ट अतिथि थे- प्रसिद्ध गज़लकार एहतराम इस्लाम, अतुकांत विधा के प्रसिद्ध कवि श्री नरेश सक्सेना, प्रसिद्ध नवगीतकार श्री मधुकर अस्थाना. कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध युवा गज़लकार श्री वीनस केसरी ने किया.
       मंच ही नहीं सभागार में भी अनूठी और नामी प्रतिभाओं का समागम था. कनाडा से पधारे प्रो सरन घई, मॉरिशस की श्रीमती कुंती मुखर्जी, डॉ. सूर्य बाली सूरज, प्रसिद्ध नवगीतकार डॉ. कैलाश निगम, ओपन बुक्स ऑनलाइन के संस्थापक इ. गणेश जी बागी तथा प्रबंधन के सदस्य श्री सौरभ पाण्डेय, श्री राना प्रताप सिंह, डॉ. प्राची सिंह, भूगर्भ वैज्ञानिक तथा साहित्यकार डॉ. शरदिंदु मुखर्जी, गज़लकार फरमूद इलाहाबादी सहित कई नामी-गिरामी हस्तियाँ कार्यक्रम में उपस्थित थीं.
       इस कार्यक्रम में तीन पुस्तकों का लोकार्पण हुआ- प्रो. सरन घई की पुस्तक मुक्तिपथ, श्रीमती कुंती मुखर्जी की पुस्तक बंजारन, तथा श्री सौरभ पाण्डेय द्वारा सम्पादित १५ रचनाकारों की अतुकांत कविताओं का संकलन परों को खोलते हुए-१.
             ‘परों को खोलते हुए-१ की एक प्रति पर मैंने सभी हस्तियों के हस्ताक्षर प्राप्त किये और स्मृति के तौर पर उसे सहेजकर रख लिया.

                                      -        बृजेश नीरज 

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