Tuesday, 8 October 2013

अनुभूति काव्य गोष्ठी

       किसी भी रचनाकार के लिए वह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है जब उसे अपने समय के किसी नामी साहित्यकार से साक्षात्कार का अवसर प्राप्त होता है। ऐसा ही एक दिन मेरे जीवन में भी आया।
       दिनांक 08 सितम्बर 2013 को पूर्णिमा वर्मन जी लखनऊ में थीं। इस अवसर उन्होंने कालिंदी विला, लखनऊ में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया था। उस गोष्ठी में मुझे भी जाने का अवसर प्राप्त हुआ।
       दिन बहुत गरम और उमस भरा था। चिलचिलाती धूप घर से बाहर कदम रखने की इजाज़त नहीं दे रही थी लेकिन आयोजन का आकर्षण बरबस अपनी ओर खींचे ले रहा था। शायद इस आयोजन के आकर्षण का संवरण वरुण देव भी नहीं कर सके। आसमान धीरे- धीरे बादलों से ढक गया और बारिश की फुहारों ने मौसम को खुशगवार कर दिया।
       मैं ठीक समय पर आयोजन स्थल पर पहुँच गया। सबसे पहले भेंट पूर्णिमा जी से ही हुई। नेट के बाहर वास्तविक दुनिया में उनका दर्शन लाभ एक अलग ही सुखद अनुभूति दे गया.
       आयोजन में उपस्थित लोगों पर जब दृष्टि पड़ी तो मन उल्लास से भर गया। नरेश सक्सेना, प्रतिष्ठित नवगीतकार मधुकर अस्थाना, डॉ कैलाश निगम, निर्मल शुक्ल, राजेंद्र शुक्ल राज’, अनिल कुमार वर्मा, डॉ अमिता दुबे, गज़लकार रचना मिश्रा, अनामिका, ज्योति सिन्हा, संध्या सिंह, आभा खरे, रमाशंकर वर्मा जैसे हस्ताक्षरों की उपस्थिति आयोजन की शोभा थी।
       नव हस्ताक्षरों में अमन दलाल, विवेक मालवीय, ठाकुर संदीप सिंह आयोजन में उपस्थित थे।
       वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम का संचालन पूर्णिमा वर्मन जी ने किया। सभी ने अपनी मनपसंद विधाओं में रचना पाठ किया। इन सभी रचनाकारों को सुनना एक सुखद अनुभव रहा। पूर्णिमा जी के आभार ज्ञापन और सूक्ष्म जलपान के साथ आयोजन का समापन हुआ।
                              - बृजेश नीरज


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