मन कुछ अशान्त है
बस यूं ही
पता नहीं क्यूं
न कुछ बोलता
न कुछ सोचता
तूफान के पहले
की
शान्ति जैसा
खामोश है मन
अन्दर ही अन्दर
हलचल है
समुद्र की तरह
ऊपर से शान्त
लेकिन जानता हूं
अशान्त हूं
अस्थिर
भयभीत
किसी अनजाने भय से
अनहोनी की आशंका
से
कि जैसे
बिल्ली रास्ता काट गयी
हो
कोई कुत्ता रो रहा
हो
किसी अशुभ संकेत
की तरह
मन बेचैन है
आज।
-
बृजेश नीरज
बहुत पसन्द आया
ReplyDeleteहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
आपका आभार!
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