Monday, 4 February 2013

मन अशान्त है


मन कुछ अशान्त है
बस यूं ही
पता नहीं क्यूं

कुछ बोलता
कुछ सोचता

तूफान के पहले की
शान्ति जैसा
खामोश है मन

अन्दर ही अन्दर
हलचल है
समुद्र की तरह
ऊपर से शान्त

लेकिन जानता हूं
अशान्त हूं
अस्थिर

भयभीत
किसी अनजाने भय से
अनहोनी की आशंका से
कि जैसे
बिल्ली रास्ता काट गयी हो
कोई कुत्ता रो रहा हो

किसी अशुभ संकेत की तरह
मन बेचैन है आज।
-        बृजेश नीरज

2 comments:

  1. बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद

    ReplyDelete

कृपया ध्यान दें

इस ब्लाग पर प्रकाशित किसी भी रचना का रचनाकार/ ब्लागर की अनुमति के बिना पुनः प्रकाशन, नकल करना अथवा किसी भी अन्य प्रकार का दुरूपयोग प्रतिबंधित है।

ब्लागर