जो जिंदगी धड़कनों में गुजरी
शमा उसकी तस्वीर ही तो है
याद से दिल बहलता रहा
इक तमन्ना सताती तो है
आसमां जो पड़ गया नीला
ये दर्द की तासीर
ही तो है
जंजीरे-दर उदास सी रही
सबा कुछ गुनगुनाती तो है
दिन यूँ बदलता रहा
पैरहन
शाम उसका अंजाम ही तो है
समंदर है अब खामोश सा
दरिया में खलल सी तो है
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